श्रीरामचरित मानस भारत की उदात्त-समावेशी संस्कृति का परिचायक: शेखावत
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि श्रीरामचरित मानस भारत की उदात्त-समावेशी संस्कृति का परिचायक भी है। गोस्वामी तुलसीदास की इस सर्वोत्कृष्ट महा-रचना का अध्ययन हमें सामाजिक मूल्यों के प्रति चेतन बनाए रखता है। इसमें समाज का संस्कृति-संस्कार व प्रगति से आदर्श समन्वय बनाने का संदेश मुखरित हुआ। 
शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय और संस्कृति संज्ञान संस्था के अंतर्गत हिंदू अध्ययन केंद्र द्वारा ‘मानवता के लिए श्रीरामचरितमानस’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में शेखावत ने कहा कि भारत और भारतीय ज्ञान परंपरा के लिए यह गौरव की बात है कि ऐसे दौर में जब दुनिया में हर तरफ आदर्श और मर्यादा का लोप व क्षरण हो रहा है, हम भगवान राम के नायकत्व की चर्चा कर रहे हैं। 140 करोड़ भारतवासियों को यह कहने का गौरव हासिल है कि भारतवर्ष नायकत्व की धरा रही है। हमारी आस्था, हमारी पौराणिकता, हमारी परंपरा और भविष्य में सफलता के शीर्ष पर पहुंचने का हमारा संकल्प उन प्रेरणाओं से अभिमंत्रित है, जो पांच हजार साल के इतिहास में हमें हमारे नायकों से मिली है। यह हमारी परंपरा और संस्कृति की विलक्षणता है कि आज जहां हमारे पास भगवान श्रीराम जैसे मर्यादा पुरुषोतम की प्रेरणा और आशीर्वाद है, वहीं आज हमारे पास हर क्षेत्र में ग्लोबन आइकन्स हैं। भगवान श्रीराम के प्रति लोकमानस की विराट आस्था यह दिखाती है कि भारतीय जीवन और संस्कृति की महान विरासत आज भी अम्लान है, आज भी प्राणवंत है। 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास का 'रामचरितमानस' विश्व साहित्य को भारत का महान प्रदेय है और इसका आज भरतवासी को गर्व है कि भारत की सारस्वत परंपरा ने विश्व साहित्य को समृद्धि प्रदान की है। यह बताना जरूरी है कि वेद मंत्रोच्चार को यूनेस्को पहले ही मानवता की महान विरासत घोषित कर चुका है। सनातन संस्कृति और उसकी सारस्वत यात्रा के लिए यह वाकई गौरव की बात है कि विश्व में जब कई संस्कृतियां गुमनामी में खोती जा रही हैं, भारत का अतीत उसे आज भी गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे दौर में जब दुनिया में परिवार और परंपरा के साथ जुड़ी सामाजिकता की अवधारणा खंडित हो रही है, रामचरितमानस की लोक स्वीकृति इस बात का गौरवपूर्ण उद्घोष है कि भारत आज भी आस्था और संस्कृति की यशस्वी-धरा है। परिवार और समाज को लेकर हमारे मूल्य हमारी सांस्कृतिक विरासत है, जिसे आज भी हम साथ लेकर चल रहे हैं। 
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने बीते एक दशक में भारत के विकास को भारत की श्रेष्ठता, उसकी पारंपरिक विलक्षणता से जोड़ते हुए विरासत भी, विकास भी के विजन से साथ निरंतर आगे बढ़ाया है। आज भारत अगर विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, तो इसके पीछे बड़ा कारण हमारा अपनी संस्कृति पर वह गर्व है, जो पूरी दुनिया में हमारी पहचान को गढ़ता है, हमारी सांस्कृतिक अस्मिता को प्रतिष्ठित करता है। 140 करोड़ भारतीयों के लिए यह गौरव की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री न सिर्फ आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं, बल्कि वे हमारे सबसे बड़े कल्चरल एंबेसडर भी हैं।
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