फिल्मों के माध्यम से संस्कृत का प्रसार देश व संस्कृति के लिए अनुकूल
गुलाबी नगरी में शुरू हुआ राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल

दो दिवसीय आयोजन में पहले दिन बड़ी संख्या में आए संस्कृत रसिक
 
जयपुर। राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में  आयोजित किए जा रहे अखिल भारतीय माघ महोत्सव के तहत जयपुर के जैम सिनेमा में शनिवार को रिफ फिल्म क्लब के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फैस्टिवल की शुरुआत हुई।
 
समारोह का उद्घाटन जैम सिनेमा में मुख्य अतिथि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री महेश जोशी, अध्यक्षता कर रहे विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा, सारस्वत अतिथि  रामसेवक दुबे कुलपति जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, कला एवं संस्कृति विभाग के उप सचिव जगदीश आर्य, अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर, निदेशक संजय झाला और रिफ फिल्म क्लब के फाउन्डर सोमेन्द्र हर्ष ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस मौके पर राधेलाल चौबे वेद विद्यालय के विद्यार्थियों ने वैदिक मंत्रोच्चार और सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। अपने उद्बोधन में महेश जोशी ने कहा कि संस्कृत अपने आप में एक अद्भुत भाषा है जो किसी को आती हो अथवा नहीं आती हो लेकिन सनातन धर्म से जुड़े एक एक व्यक्ति के जीवन से जुड़ी है। जन्म हो, परण हो अथवा मरण संस्कृत के बिना ये भी अधूरे हैं।
 
अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि कोई भी काम हो समर्पण और कर्तव्यनिष्ठ भाव से किया जाए तो सफल होता है। वैश्वीकरण के इस युग में संस्कृत को समर्पित यह समारोह आने वाली पीढ़ी के लिए पाथेय साबित होगा। आने वाली पीढ़ी को अधिक से अधिक संस्कृत से जोड़ने के लिए अकादमी जल्दी ही संस्कृत का एक बहुआयामी पोर्टल जारी करने की दिशा में सक्रिय है।
 
उद्घाटन समारोह को विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा और रामसेवक दुबे कुलपति जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय ने भी संबोधित किया। अंशु हर्ष ने समारोह का संचालन किया।
 
उद्घाटन समारोह के बाद जीवी अय्यर द्वारा निर्देशित फिल्म आदि शंकराचार्य का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म संस्कृत सीख रहे बटुक और कुछ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों एवं संस्कृत जानने-समझने वालों ने देखी। कला समीक्षकों के अनुसार इस फिल्म का निर्माण 1983 में हुआ था। इसका संगीत एम. बालमुरली कृष्ण ने दिया था, जो पूरी फिल्म को बांधे रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके महत्वपूर्ण पात्र जो दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ते हैं, वे हैं जीएल अय्यर, एमवी नारायण राव, लीला नारायण राव और सर्वदमन डी. बैनर्जी आदि। आदिशंकराचार्य के जीवन दर्शन को समझने के लिए यह फिल्म मील का पत्थर है। इसमें संस्कृत उच्चारण पर विशेष ध्यान दिया गया है।

अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर ने बताया कि कला एवं संस्कृति विभाग, जगतगुरु रमानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्व विद्यालय तथा राजस्थान विप्र कल्याण बोर्ड और एन एफ डी सी  के सहयोग से यह समारोह आयोजित किया जा रहा है।

आयोजित हुआ टॉक शो

फेस्टिवल में संस्कृत भाषा की फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ संस्कृत सिनेमा पर विचार-विमर्श भी हो रहा है। समारोह के पहले दिन  ‘संस्कृत सिनेमा अतीत से वर्तमान तक’ विषय पर टॉक शो का आयोजन हुआ। इसमें इंस्टीटूटो सर्वेंट्स के डायरेक्टर ऑस्कर पूजोल, यदु विजयकृष्णन, फिल्म अभिनेता चार्ल्स थॉमसन और युवराज भट्टराय ने चर्चा की। 


इस मौके पर पुजोल ने कहा कि संस्कृत पुरानी होते हुए भी नवीन भाषा है। संस्कृत कठिन नहीं सरल है और इसमें बड़ी संख्या में चलचित्र बनने चाहिए क्योंकि आज का समय चित्रों का है। साथ ही बड़ी संख्या में मौजूद युवाओं से उन्होंने कहा कि सबसे पहले अपनी हिन्दी शुद्ध कीजिए फिर धीरे धीरे संस्कृत की तरफ आइए, आपकी जिंदगी बदल जाएगी।

वहीं फिल्म समीक्षक और अभिनेता चार्ल्स ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अपनी भाषा से प्यार किजिए। हिंदुस्तान से अंग्रेज चले गए लेकिन 75 साल बाद भी लोग अंग्रेजी बोलने में शान समझते हैं। विदेशों में अंग्रेजी कम हो रही है और भारत में बढ़ रही है।

व्यंग्य नाटक पर आधारित फिल्म

‘भगवदज्जुकम’ के निर्देशक यदु विजयकृष्णन ने चर्चा के दौरान कहा कि सिनेमा के लिए भाषा कोई समस्या नहीं है। संस्कृत को अधिकतर अध्यात्म की भाषा समझा जाता है, इसी मिथक को तोड़ती है 'भगवदज्जुकम'।


स्क्रीनिंग हुई व्यंग्य नाटक पर आधारित फिल्म ‘भगवदज्जुकम’

टॉक शो के बाद ’7वीं शताब्दी के एक व्यंग्य नाटक पर आधारित फिल्म ‘भगवदज्जुकम’’ की स्क्रीनिंग गई। यदु विजयकृष्णन द्वारा साल 2021 में बनी ये फिल्म एक बौध साधु और उनके शिष्य शांडिल्य की कहानी है।

दूसरे दिन 19 फरवरी के आयोजन

राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के तहत दूसरे दिन रविवार 19 फरवरी को जैम सिनेमा में सुबह 11 बजे “संस्कृत सिनेमारू भविष्य के साथ संवाद” विषय पर टॉक शो का आयोजन होगा. इसमें फिल्म निर्देशक दुश्यंत  श्रीधर,  यदु विजयकृष्णन, फिल्म समीक्षक चार्ल्स थॉमसन, अभिनेता शुभम सहरावत, फिल्म अभिनेत्री ज्वाला एस परमेस्वर और युवराज भट्टराय चर्चा करेंगे।

इसी दिन दोपहर 12.30 बजे संस्कृत भाषा की इसरो के वैज्ञानिकों पर आधारित फिल्म ‘ज्ञानम’ की स्क्रीनिंग होगी। विनोद मंकर के निर्देशन में बनी फिल्म की कहानी ‘मंगलयान’ मिशन के नाम से विख्यात भारत के ऐतिहासिक श्मार्स ऑर्बिटर मिशन की सफलता के इर्द-गिर्द घूमती है।

इसके बाद दूसरे दिन शाम 3.30 बजे संस्कृत भाषा में बनी फिल्म ‘शाकुंतलम’ दिखाई जाएगी। दुष्यंत श्रीधर द्वारा बनाई गई ये फिल्म कवि कालीदास की रचना अभिज्ञान शाकुंतलम पर आधारित है।
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